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वक़्त के साथ देश में हर ओर तब्दीली देखी जा सकती है अब हालात भी बदल रहे हैं और हालत भी। जैसे जैसे भारत 21 वीं सदी की ओर कदम रखता जा रहा है वैसे वैसे तकनीकी ओर उच्च सुख सुविधाओं का बोलवाला भी बढ़ता जा रहा है। कहने को भारत एक सांस्कृतिक देश है, यहाँ राम, कृष्ण जैसे देवों की गौरवगाथा का अस्तित्व मौजूद है परंपरा और संस्कृति के नाम पर यहाँ कभी इंसान, जाति, धर्म में एकता का नाता था लेकिन यह सब उस युग की बात है जब आज के भारत की कल्पना भी किसी नहीं की होगी। जैसे जैसे वक़्त बीत रहा है वैसे वैसे भारतवासी का वास्तविक जीवन ही नहीं बल्कि उसकी संस्कृति में भी बदलाव आते जा रहे हैं शायद यह सब किताबों या कहानियों में लोगों ने सुना है इसलिए आज के भारतवासी न कृष्ण को मानते है न राम को न विष्णु भगवान का कोई अर्थ है न ब्रह्मा का कोई अंश। उदहारण देश में बढ़ रहे आस्था के व्यापार के रूप में दिया जा सकता है आज हर चौथा आदमी संत बन जाता है और यही नहीं वह, अपने अश्लील कार्यों से लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहात करता है यह कोई नई बात नहीं है जब किसी धर्म के ठेकेदार ने धर्म के नाम पर उसके अस्तित्व पर दाग लगाया हो। हम जानते हैं कि तिल को तेल बनने के लिए अपने जैसे ही तिलों की जरुरत होती है। ठीक वैसे ही, एक इंसान को ग़लत करने के लिए उसके साथ ही वैसे ही और इंसानों को जोड़ने की जरुरत होती है। आज यदि एक व्यक्ति आपको धर्म के पर गुमराह करे तो आँखें मूँद कर आप उसके पीछे चल देंगे, लेकिन यदि कोई धर्म के नाम पर अपनी भूख का हवाला दे और आपसे किसी प्रकार की सहायता का आग्रह करे तो क्या रवैय्या होगा आपका ? स्पष्ट है हमारे अंदर छिपा भगवान किसी और में, शायद इन धर्म के दलालों में दिखता है। हमारे देश में अब तक 100 से भी ज्यादा ऐसे ढोंगी बाबाओं के किस्से शामे आ चुके हैं जो श्रध्दा, भक्ति के नाम पर ग़ैर कानूनी कार्य, वैश्यावृति जैसे अपराधो को बढ़ावा देते हैं। देखा जाये तो अगर समस्या है तो उसकी उपज का कोई मार्ग भी होगा। तो क्या वो खुद मार्ग ? ईश्वर को खोज है तो गीता ,रामायण सहारा लिया जा सकता है जो खुद मनुष्य है वह क्या किसी मनुष्य को परमात्मा से मिलाएगा। देश में आये दिन किसी न किसी संत, बाबा पर उसकी नीति, नियत व कार्यप्रणाली को लेकर उँगलियाँ उठती रहती हैं लेकिन जब वास्तविकता में ई पर पुलिसिया कार्यवाई होती है और जो तथ्य सामने आते हैं वह भ्रमित करने वाले होते है मानो की श्रद्धा का कोई मोल ही नहीं रहा और देश द्रोहियों और गन्दी सोच वाले लोगों के लिए यह केवल एक व्यापार बन चुका है। साधु संत का मतलब होता है सदा जीवन और अच्छी विचारशैली वाले जीवन , लेकिन आज संत तमाम वैज्ञानिकी सुविधाओं का पूर्णतया प्रयोग करते है जो एक आम आदमी के लिए दूर का सपना होता है आश्रम का हाईटेक तकनीकी से बनना स्वर्ग की तरह वह सारी सुख सुविधाओं का लैस होना अब यह आश्रम का नया रूप देखने को मिलने लगा है इससे तो यही लगता है की इसके पीछे भी 21 वीं सदी ही हाथ है।
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